भारत के ग्रे मार्केट में IPO प्रीमियम की गिरावट: क्या खो रहा है बाजार का जोश?

इस साल भारत के ग्रे मार्केट में IPO (इनिशियल पब्लिक ऑफर) प्रीमियम में भारी गिरावट देखी जा रही है। यह गिरावट इतनी ज्यादा है कि कई कंपनियों के शेयरों का प्रीमियम शून्य तक पहुंच गया है। यह स्थिति पिछले कुछ सालों के उछाल के बाद एक बड़ा बदलाव दर्शाती है। आइए जानते हैं कि आखिर क्यों ठंडा पड़ रहा है एक बार चहकता हुआ ग्रे मार्केट।
क्या है ग्रे मार्केट?
ग्रे मार्केट, जिसे अनऑफिशियल या पैरेलल मार्केट भी कहा जाता है, एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां कंपनियों के शेयर उनके स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होने से पहले ही खरीदे और बेचे जाते हैं। यहां शेयरों के प्रीमियम या डिस्काउंट से अंदाजा लगाया जाता है कि लिस्टिंग के बाद शेयर कैसा प्रदर्शन करेंगे। इसलिए, निवेशक IPO में निवेश करने से पहले ग्रे मार्केट के ट्रेंड को करीब से देखते हैं।
इस साल क्या हुआ बदलाव?
इस साल ग्रे मार्केट में IPO प्रीमियम में भारी गिरावट देखी जा रही है। फिलहाल लगभग 6 IPO या तो खुले हुए हैं, लिस्ट होने वाले हैं या खुलने की कगार पर हैं। लेकिन इनमें से किसी भी कंपनी का प्रीमियम 3% से ज्यादा नहीं है, और कुछ का तो प्रीमियम शून्य है।
उदाहरण के तौर पर, HP Telecom India, जो एक SME IPO है और पिछले हफ्ते खुला था, का GMP (ग्रे मार्केट प्रीमियम) शून्य है। इसी तरह Nukleus Office, Shreenath Paper और Balaji Phosphates जैसी कंपनियों के IPO का भी GMP शून्य है।
मेनबोर्ड सेगमेंट में भी हालात बेहतर नहीं हैं। Quality Power, जो आज ही लिस्ट हुआ है, का प्रीमियम लिस्टिंग से पहले ही डिस्काउंट पर पहुंच गया था। इसी तरह Ajax Engineering का IPO भी डिस्काउंट पर लिस्ट हुआ था।
क्यों हो रही है गिरावट?
विश्लेषकों का मानना है कि ग्रे मार्केट में इस गिरावट की कई वजहें हैं:
- कमजोर लिस्टिंग परफॉर्मेंस: पिछले एक साल में लिस्ट हुई 50% से ज्यादा कंपनियों के शेयर अपने IPO प्राइस से नीचे चल रहे हैं। यह निवेशकों के विश्वास को झटका दे रहा है।
- FIIs का बिकवाली: विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) लगातार भारतीय बाजार से पैसा निकाल रहे हैं, जिससे बाजार में नकारात्मक माहौल बना हुआ है।
- रिटेल और HNI निवेशकों का उत्साह कम: छोटे निवेशक और हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल (HNIs) नए IPO में कम दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
- आर्थिक चुनौतियां: वैश्विक आर्थिक मंदी, ट्रेड टेंशन और मार्केट की अनिश्चितता ने भी निवेशकों के मनोबल को प्रभावित किया है।
SME और मेनबोर्ड IPO का हाल
SME सेगमेंट में भी हालात बेहतर नहीं हैं। पिछले 20 SME IPO में सबसे ज्यादा सब्सक्रिप्शन सिर्फ 44 गुना था, जबकि इस साल Chamunda Electricals और Sat Kartar Shopping जैसे IPO को 300 गुना से ज्यादा सब्सक्रिप्शन मिला था।
मेनबोर्ड सेगमेंट में भी Denta Water Solutions को छोड़कर किसी भी IPO को ज्यादा सब्सक्रिप्शन नहीं मिला। Ajax Engineering का सब्सक्रिप्शन सिर्फ 6 गुना था।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
Wealth Wisdom India के फाउंडर और MD कृष्णा पटवारी का कहना है कि “पिछले एक साल में लिस्ट हुई 50% से ज्यादा कंपनियां अपने IPO प्राइस से नीचे चल रही हैं। यह मार्केट कंडीशन, वैल्यूएशन कंसर्न और आर्थिक चुनौतियों की वजह से हो रहा है।”
उन्होंने यह भी कहा कि FIIs का लगातार बिकवाली और रिटेल निवेशकों का उत्साह कम होना भी इस गिरावट की बड़ी वजह है।
आगे क्या होगा?
आने वाले समय में ग्रे मार्केट में IPO प्रीमियम मामूली ही रहने की उम्मीद है। हालांकि, भारतीय बाजार में 1000 से ज्यादा IPO लाने की तैयारी है, लेकिन निवेशकों का रुख कैसा रहेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।
निष्कर्ष
ग्रे मार्केट में IPO प्रीमियम की गिरावट निवेशकों के लिए एक चेतावनी है। यह दर्शाता है कि बाजार में अनिश्चितता और निवेशकों का विश्वास कम हो रहा है। हालांकि, यह स्थिति लंबे समय तक नहीं रह सकती है। बाजार के हालात सुधरने और निवेशकों का विश्वास वापस आने पर ग्रे मार्केट फिर से चमक सकता है। तब तक निवेशकों को सतर्क और सही रणनीति के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
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