निफ्टी 50 का ऐतिहासिक गिरावट: 28 साल में पहली बार लगातार पांचवें महीने मंदी का खतरा!
भारत का बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी 50 एक ऐतिहासिक मंदी के कगार पर है। अगर फरवरी महीने में भी इसमें गिरावट दर्ज की जाती है, तो यह लगातार पांचवें महीने गिरने वाला पहला मौका होगा। ऐसा पिछली बार 1996 में हुआ था, और पिछले 34 सालों में यह सिर्फ दो बार हुआ है। यह स्थिति दलाल स्ट्रीट के इतिहास में एक दुर्लभ घटना मानी जा रही है।

FIIs का भारी बिकवाली: 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के शेयर बेचे गए
इस लगातार गिरावट की एक बड़ी वजह विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) का भारी बिकवाली है। अक्टूबर 2024 से अब तक FIIs ने 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के शेयर बेच डाले हैं। इसकी वजह रुपये की कमजोरी और इमर्जिंग मार्केट्स में कम आकर्षण है।
ऐतिहासिक गिरावट: 1994 और 1996 के बाद सबसे लंबी मंदी
निफ्टी ने पिछले 34 सालों में सिर्फ दो बार ही लगातार पांच या उससे ज्यादा महीनों तक गिरावट देखी है। सबसे लंबी गिरावट सितंबर 1994 से अप्रैल 1995 के बीच हुई थी, जब इंडेक्स 8 महीनों में 31.4% गिर गया था। इसके बाद 1996 में लगातार पांच महीनों तक गिरावट दर्ज की गई थी, जब इंडेक्स 26% नीचे आ गया था। हालांकि, इस बार की गिरावट अब तक 11.7% ही है, जो अक्टूबर से लेकर अब तक देखी गई है।
फरवरी महीने में अब तक निफ्टी 3% नीचे आ चुका है। टेक्निकल एनालिस्ट्स का मानना है कि अगले कुछ दिनों में इंडेक्स 22,500-22,400 के स्तर तक गिर सकता है। उनका कहना है कि जब तक निफ्टी 22,850 के स्तर से नीचे बना हुआ है, तब तक इसे “सेल ऑन राइज” (गिरावट पर बेचने) की रणनीति के तहत देखा जाएगा।
LKP Securities के सीनियर टेक्निकल एनालिस्ट रूपक डे ने ETMarkets को बताया, “सितंबर के अंत से ही इंडेक्स लगातार गिर रहा है। डेली चार्ट पर यह लोअर टॉप-लोअर बॉटम पैटर्न बना रहा है। यह पैटर्न तब बनता है जब मार्केट में सेल ऑन राइज की रणनीति काम करती है, यानी कमजोर बाजार में निवेशक गिरावट पर भी शेयर बेचने को तैयार रहते हैं।”
चीन का बाजार: FIIs का रुख बदलने की वजह
इस गिरावट की एक और बड़ी वजह चीन के बाजार में तेजी है। अक्टूबर 2024 से अब तक भारत का मार्केट कैपिटलाइजेशन 1 ट्रिलियन डॉलर घट चुका है, जबकि चीन का मार्केट कैप 2 ट्रिलियन डॉलर बढ़ गया है। हांगकांग का हैंग सेंग इंडेक्स सिर्फ एक महीने में 18.7% चढ़ गया है, जबकि इसी दौरान निफ्टी 1.55% नीचे आया है।
BofA Securities के अनुसार, चीन में निवेश बढ़ रहा है, जबकि भारत में FIIs का समर्थन दो साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है। विश्लेषकों का मानना है कि “भारत बेचो, चीन खरीदो” का ट्रेंड जारी रह सकता है, क्योंकि चीन के शेयर अभी भी सस्ते हैं। Dezerv के को-फाउंडर वैभव पोरवाल का कहना है कि चीन की सितंबर 2024 की आर्थिक प्रोत्साहन योजना ने इस बदलाव को गति दी है। इस योजना में पॉलिसी सपोर्ट, रेगुलेटरी ईजिंग और FIIs को आकर्षित करने के उपाय शामिल हैं।
निवेशक क्या करें?
इस मंदी के बीच SBI Securities निवेशकों को सलाह देता है कि वे स्टॉक पिकिंग की बॉटम-अप रणनीति अपनाएं। इसके तहत उन्हें क्वालिटी स्टॉक्स में धीरे-धीरे निवेश करना चाहिए। साथ ही, उन्हें माइक्रो-कैप स्टॉक्स (जिनका सालाना प्रॉफिट पूल 100 करोड़ रुपये से कम है) में निवेश से बचना चाहिए, क्योंकि इस सेगमेंट में अभी और गिरावट का खतरा है। इसके अलावा, अगले पांच हफ्तों में टैक्स हार्वेस्टिंग स्ट्रैटेजी अपनाने की सलाह दी गई है।
निष्कर्ष
निफ्टी 50 की यह गिरावट निवेशकों के लिए चिंता का विषय है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि सही रणनीति और धैर्य के साथ इस मुश्किल दौर को पार किया जा सकता है। चीन के बाजार में तेजी और FIIs के रुख में बदलाव के बावजूद, भारत के मजबूत आर्थिक आधार और क्वालिटी स्टॉक्स में निवेश करके निवेशक लंबे समय में अच्छे रिटर्न हासिल कर सकते हैं।
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