अमृतसर: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान स्वर्ण मंदिर परिसर में हवाई रक्षा प्रणाली (एयर डिफेंस सिस्टम) तैनात करने की खबरें हाल के दिनों में सुर्खियों में रहीं। हालांकि, भारतीय सेना और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने इन दावों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है।
सेना का स्पष्टीकरण: “कोई एयर डिफेंस सिस्टम नहीं लगाया गया”
मंगलवार को भारतीय सेना ने एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि श्री हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) के परिसर में किसी भी प्रकार की हवाई रक्षा प्रणाली, एयर डिफेंस गन या अन्य सैन्य संसाधन तैनात नहीं किए गए थे। यह बयान उन मीडिया रिपोर्ट्स के बाद आया, जिनमें दावा किया गया था कि पाकिस्तान से संभावित ड्रोन या मिसाइल हमले के खतरे को देखते हुए सेना को मंदिर परिसर में एयर डिफेंस सिस्टम लगाने की अनुमति दी गई थी।
सेना ने अपने बयान में स्पष्ट किया:
“श्री दरबार साहिब (स्वर्ण मंदिर) के परिसर में कोई भी हवाई रक्षा प्रणाली या अन्य सैन्य उपकरण नहीं लगाया गया था। मीडिया में आई यह खबर पूरी तरह से निराधार है।”
SGPC ने भी दावों को किया खारिज
श्री हरमंदिर साहिब के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी रघबीर सिंह ने भी इस मामले पर स्पष्टीकरण दिया। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान वह विदेश यात्रा पर थे, लेकिन उनसे कभी भी इस तरह की तैनाती के बारे में कोई चर्चा नहीं हुई।
SGPC के अतिरिक्त मुख्य ग्रंथी ज्ञानी अमरजीत सिंह ने भी इन खबरों को “पूरी तरह से झूठ” बताया। उन्होंने कहा:
“यह दावा कि सेना को स्वर्ण मंदिर में एयर डिफेंस सिस्टम लगाने की अनुमति दी गई थी, बिल्कुल गलत है। ऐसा कभी नहीं हुआ और न ही इस पर कोई चर्चा हुई।”
“धार्मिक स्थल की पवित्रता बरकरार रखी गई”
ज्ञानी अमरजीत सिंह ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अमृतसर में ‘ब्लैकआउट’ (पूर्ण अंधकार) की स्थिति थी, लेकिन स्वर्ण मंदिर और अन्य गुरुद्वारों में धार्मिक प्रथाएं बिना किसी रुकावट के जारी रहीं।
उन्होंने कहा:
“हमने जिला प्रशासन के निर्देशों का पालन करते हुए मंदिर की बाहरी लाइटें बंद कीं, लेकिन अंदर धार्मिक गतिविधियां पूरी तरह जारी रहीं। गुरु रामदास जी का लंगर, अखंड पाठ और अन्य सेवाएं बिना किसी बाधा के चलती रहीं।”
“अगर ऐसा होता, तो संगत ने जरूर देखा होता!”
SGPC प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी ने भी इस मामले पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यदि वास्तव में स्वर्ण मंदिर में कोई सैन्य तैनाती हुई होती, तो वहां आने वाले श्रद्धालुओं और सेवादारों ने जरूर इस पर ध्यान दिया होता।
धामी ने कहा:
“ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी हजारों श्रद्धालु स्वर्ण मंदिर आते रहे। अगर वहां कोई सैन्य गतिविधि होती, तो यह छुप नहीं पाती। यह खबर पूरी तरह से निराधार है।”
उन्होंने सेना के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि “ऐसी गलत खबरें फैलाना दुर्भाग्यपूर्ण है, खासकर जब देश एक संवेदनशील दौर से गुजर रहा है।”
निष्कर्ष: अफवाहों पर विश्वास न करें
इस पूरे मामले में सेना और SGPC दोनों ने स्पष्ट किया है कि स्वर्ण मंदिर में किसी भी प्रकार की सैन्य तैनाती नहीं हुई। यह खबरें महज अफवाहें हैं, जिन्हें तथ्यों के आधार पर खारिज किया गया है।
स्वर्ण मंदिर सिख समुदाय का सबसे पवित्र धार्मिक स्थल है, और इसकी पवित्रता को हमेशा सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है। सेना और SGPC दोनों ने इस बात पर जोर दिया कि धार्मिक स्थलों की गरिमा बनाए रखना सबसे जरूरी है।
इसलिए, ऐसी अफवाहों पर विश्वास न करें और केवल आधिकारिक सूत्रों से प्राप्त जानकारी को ही सही मानें।
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