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कृषि मंत्री ने संसद में किसानों की मुख्य मांगों पर चर्चा करते हुए MSP के फॉर्मूले को स्पष्ट किया और कर्जमाफी पर भी अपना रुख स्पष्ट किया।

नई दिल्ली, पीटीआई। किसानों की मुख्य मांगों को लेकर चर्चा के बीच, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को राज्यसभा में अहम घोषणा की। किसानों के दिल्ली कूच के एलान के बीच, उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर फसल खरीदने की गारंटी दी। कृषि मंत्री ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार किसानों की सभी फसलों को MSP पर खरीदेगी। उन्होंने इसे “मोदी की गारंटी” करार दिया।

“MSP पर फसल खरीद मोदी सरकार की गारंटी है”
राज्यसभा में पूरक प्रश्नों का जवाब देते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा, “मैं सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि मोदी सरकार किसानों की सभी फसलों को MSP पर खरीदेगी। यह केवल घोषणा नहीं है, बल्कि इसे पूरा करने की गारंटी है।”

कांग्रेस सरकार पर तीखा प्रहार
शिवराज सिंह चौहान ने अपने भाषण में कांग्रेस नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती यूपीए सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस सत्ता में थी, तब उसने एमएस स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने से इनकार कर दिया था। विशेष रूप से, फसल की लागत का 50% अधिक भुगतान करने का प्रस्ताव ठुकरा दिया गया था। चौहान ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार के समय कृषि क्षेत्र को गंभीर उपेक्षा का सामना करना पड़ा।

उन्होंने अपने दावों के समर्थन में कांग्रेस के पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार, केवी थॉमस और तत्कालीन कृषि राज्य मंत्री कांतिलाल भूरिया के बयानों का भी हवाला दिया। “मेरे पास रिकॉर्ड में प्रमाण हैं कि कांग्रेस सरकार ने किसानों के हितों की अनदेखी की,” चौहान ने कहा।

मोदी सरकार की प्राथमिकता में किसान
कृषि मंत्री के इस बयान के बाद यह स्पष्ट है कि केंद्र सरकार किसानों की मांगों को लेकर गंभीर है। चौहान ने सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किसान हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है।

किसान आंदोलन के बीच सरकार का रुख स्पष्ट
किसानों के आंदोलन और उनके MSP पर स्थायी कानून की मांग के बीच, सरकार का यह रुख स्पष्ट करता है कि वह किसानों के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए प्रतिबद्ध है। चौहान ने कहा, “यह मोदी सरकार है, और हम अपनी गारंटी को पूरा करने के लिए दृढ़ हैं।”

यह बयान ऐसे समय में आया है जब किसान संगठनों ने एक बार फिर दिल्ली कूच का आह्वान किया है। सरकार और किसान संगठनों के बीच इस मुद्दे पर आगे की बातचीत पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।

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